जो राष्ट्र सेवा और समाज कल्याण के प्रति समर्पित एक अग्रणी संगठन है, ने सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि को 'शहीदी और त्याग के प्रतीक' के रूप में देश भर के अपने विभिन्न केंद्रों पर पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और कृतज्ञता के साथ मनाया। यह आयोजन केवल एक श्रद्धांजलि सभा नहीं था, बल्कि गुरु जी के अप्रतिम साहस, करुणा और 'धर्म की रक्षा' के लिए किए गए महान बलिदान के शाश्वत संदेश को वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का एक गंभीर प्रयास था। चाहे वे बस्ती स्तर के शिक्षा केंद्र हों, सिलाई प्रशिक्षण केंद्र हों, या स्वास्थ्य केंद्र – पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इन कार्यक्रमों में सेवा भारती से जुड़ी
बहनों, मातृशक्ति, किशोरियों और समर्पित स्वयंसेवकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सामूहिक रूप से, उन्होंने गुरु जी की महान शिक्षाओं और उस ऐतिहासिक बलिदान को स्मरण किया जिसने भारतीय इतिहास की दिशा बदल दी थी।
सेवा भारती का मानना है कि ऐसे महान पुरुषों का स्मरण केवल रस्म अदायगी नहीं है, बल्कि यह संगठन के स्वयंसेवकों को निःस्वार्थ सेवा, सत्यनिष्ठा और साहस के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन और उनके 'शहीदी' के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। गुरु तेग बहादुर जी का स्थान भारतीय इतिहास में अद्वितीय है। उन्हें दुनिया
'हिंद की चादर' के नाम से सम्मानित करती है – जिसका अर्थ है 'भारत की सुरक्षा करने वाले आवरण'। यह सम्मान उन्हें किसी सैन्य विजय के कारण नहीं मिला, बल्कि इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने धार्मिक कट्टरता और अत्याचार के विरुद्ध खड़े होकर न केवल सिख धर्म की, बल्कि संपूर्ण
भारतीय धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
इतिहास साक्षी है कि जब कश्मीरी पंडितों का समूह अपनी धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अत्याचारी शासन के समक्ष असहाय हो गया था, तब गुरु जी ने बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की इच्छा के उनकी ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया। उन्होंने दुनिया को यह संदेश दिया कि धर्म की रक्षा केवल तलवार और शक्ति से नहीं होती, बल्कि साहस, करुणा, आत्म-त्याग और सत्य के मार्ग पर दृढ़ता से चलने से होती है। उनके बलिदान ने भारत में धार्मिक सहिष्णुता और स्वतंत्रता की नींव को और मजबूत किया।
सेवा भारती के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने इस अवसर पर अपने संदेशों में कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान भारतीय मूल्यों की रक्षा का एक अविस्मरणीय अध्याय है। जिस प्रकार गुरु जी ने पर-हित के लिए अपना 'शीश' दिया, उसी प्रकार हमें समाज और राष्ट्र के हित के लिए अपने 'स्वार्थ' का त्याग करना सीखना चाहिए।
यह स्मरण उत्सव सेवा भारती के मूल ध्येय को भी रेखांकित करता है: सेवा के माध्यम से समरस समाज का निर्माण करना। गुरु जी ने सिखाया कि सभी मनुष्य एक समान हैं, और उनकी सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है। सेवा भारती इसी दर्शन पर चलते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन पहुँचाने का कार्य कर रही है।

