ब्रह्मपुरी जिले द्वारा आयोजित
कीर्तन मंडली प्रतियोगिता ने जिले के सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। यह प्रतियोगिता केवल एक कलात्मक मुकाबला नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य बस्तियों और कॉलोनियों में
सांस्कृतिक चेतना को जागृत करना, पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करना और सेवा भारती के कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम की सफलता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय लोककला और भक्ति संगीत समाज को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम है। ब्रह्मपुरी जिले में आयोजित यह प्रतियोगिता सेवा भारती के
'संस्कार और संगठन' के सिद्धांत पर आधारित थी। कीर्तन मंडली का उद्देश्य लोगों को एक साथ लाना, भजन-कीर्तन के माध्यम से आध्यात्मिक शांति प्रदान करना और समाज में व्याप्त नकारात्मकता को दूर करना है।
कार्यक्रम का शुभारंभ जिले के वरिष्ठ पदाधिकारियों, सम्मानित अतिथियों और बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों की उपस्थिति में हुआ। दीप प्रज्वलन और मंगल मंत्रों के उच्चारण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति और उत्साह से भर दिया। आयोजकों ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन से महिलाएं और युवा अपनी संस्कृति से जुड़ते हैं, और उनका खाली समय रचनात्मक गतिविधियों में लगता है।
प्रतियोगिता में ब्रह्मपुरी जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आई कीर्तन मंडलियों ने भाग लिया। इन मंडलियों में गृहिणियों, वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं का उत्साह देखने लायक था। प्रतियोगिता का स्तर अत्यंत उच्च था, क्योंकि सभी मंडलियों ने महीनों की तैयारी के बाद अपनी प्रस्तुति दी थी। मंडलियों ने विभिन्न भाषाओं और शैलियों में कीर्तन प्रस्तुत किए, जिनमें गुरुवाणी, संकीर्तन, निर्गुणी भजन और लोकगीतों पर आधारित कीर्तन शामिल थे। ढोलक, मंजीरा, हारमोनियम और करताल की ताल पर गाए गए भजनों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भाव और अभिव्यक्ति: निर्णायक मंडल (ज्यूरी) ने प्रस्तुति की भावनात्मक गहराई, गायन की शुद्धता, ताल-मेल और सामूहिक प्रस्तुति पर विशेष ध्यान दिया। कई मंडलियों की प्रस्तुति में सामाजिक संदेश और प्रेरणादायक कहानियाँ भी शामिल थीं, जो सेवा भारती के मूल्यों को दर्शाती थीं। सामुदायिक जुड़ाव: इस प्रतियोगिता ने विभिन्न बस्तियों के लोगों को एक मंच पर ला दिया, जिससे उनके बीच पारस्परिक संबंध मजबूत हुए और सामुदायिक भावना का विकास हुआ।
कार्यक्रम के दौरान, जिले के वरिष्ठ सेवा भारती कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने अपने उद्बोधन दिए। उन्होंने कीर्तन मंडली के महत्व को समझाते हुए कहा कि यह सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह साधना और समाज सेवा का एक रूप है।
पदाधिकारियों ने जोर देकर कहा कि कीर्तन मंडली एक छोटे संगठन की तरह है, जिसमें समर्पण, अनुशासन और समन्वय की आवश्यकता होती है। ये वही गुण हैं जो एक सफल समाज और राष्ट्र के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे इस कीर्तन की परंपरा को अपने घरों और बस्तियों तक ले जाएँ और इसे एक नियमित सामाजिक गतिविधि बनाएँ।
प्रतियोगिता के अंत में, निर्णायक मंडल द्वारा चुने गए विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। हालांकि, आयोजकों ने स्पष्ट किया कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाला हर व्यक्ति विजेता है, क्योंकि सभी ने भक्ति और संस्कृति की सेवा की है। सभी सहभागी मंडली के सदस्यों को भी उत्साहवर्धन हेतु स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।
कार्यक्रम का समापन एक सामूहिक कीर्तन के साथ हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों और श्रोताओं ने एक साथ मिलकर भक्ति गीतों का गायन किया। यह सामूहिक गायन सेवा भारती के 'हम सब एक हैं' के संदेश को और अधिक मजबूती से स्थापित करता है।
यह प्रतियोगिता ब्रह्मपुरी जिले में सेवा भारती के सफल सामुदायिक जुड़ाव का एक और उदाहरण बन गई है और कार्यकर्ताओं ने भविष्य में ऐसे और भी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया है, ताकि समाज में सेवा, समरसता और संस्कार का माहौल बना रहे।


